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मानसून 2025: खेतों को जलसंकट से बचाने के लिए वर्षा जल संचयन के 7 कारगर उपाय
किसानों के लिए क्यों जरूरी है वर्षा जल संचयन?
अगस्त 2025 में देश के कई हिस्सों में अत्यधिक वर्षा हो रही है, जबकि कुछ क्षेत्रों में अब भी सूखा जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐसे हालात में वर्षा जल संचयन केवल एक विकल्प नहीं बल्कि भविष्य की कृषि के लिए एक अनिवार्यता बन चुका है। इसके जरिए किसान मानसून में गिरने वाले अमूल्य जल को संग्रहित कर शुष्क मौसम में उपयोग कर सकते हैं।
जल संकट का असर खेती पर
- धान, मक्का और बाजरा जैसी खरीफ फसलों की बुवाई मानसून पर निर्भर होती है।
- 2025 की शुरुआत में जलाशयों का जलस्तर औसतन 12% कम था।
- बाढ़ के बाद सूखा और मौसम की अनिश्चितता किसानों को भारी नुकसान पहुँचा रही है।
इन समस्याओं से निपटने के लिए किसानों को वैज्ञानिक और सस्ते जल संचयन उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
खेत तालाब (Farm Pond)
खेती के लिए सबसे प्रभावी तरीका। यह मानसून में बहने वाले जल को एक जगह एकत्र करता है जिसे ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई में प्रयोग किया जा सकता है।
- लाभ: 2-3 एकड़ क्षेत्र में 20-30 हजार लीटर पानी संग्रह हो सकता है।
- 2025 योजना: कई राज्य सरकारें खेत तालाब योजना के अंतर्गत 50% सब्सिडी दे रही हैं।
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रूफटॉप रेनवॉटर हार्वेस्टिंग (छत पर जल संचयन)
कृषि से जुड़े आवासीय भवनों या गोदामों में छत पर गिरा वर्षा जल पाइपों के माध्यम से भंडारण टैंक में जमा किया जा सकता है।
- खर्च: ₹5,000–₹25,000 (स्थानीय सामग्री पर निर्भर)
- लाभ: घरेलू और सिंचाई दोनों में उपयोगी
3बोरेवेल रीचार्जिंग
मानसून में गिरने वाला पानी जब बोरवेल के पास बने पिट के जरिए जमीन में समाया जाए तो भूजल स्तर में सुधार आता है।
- 2025 के आंकड़े: कृषि मंत्रालय के अनुसार, 50% बोरवेल 2025 में सूखने की कगार पर थे।
कंटूर ट्रेंचिंग (Slope में गड्ढे)
पर्वतीय और ढलान वाली जमीनों में वर्षा जल बहकर निकल जाता है। ऐसे में कंटूर ट्रेंचिंग तकनीक से पानी रोका जा सकता है।
- लाभ: मिट्टी का कटाव रुकता है, भूजल स्तर बढ़ता है।
गड्डा तकनीक (Percolation Pit)
छोटे गड्ढों में वर्षा जल जमा कर धीरे-धीरे जमीन में समाने दिया जाता है। इससे सिंचाई जल की निर्भरता कम होती है।
- स्थापना लागत: ₹500–₹1,500 प्रति गड्ढा
- टिकाऊपन: 5–7 वर्षों तक चल सकते हैं
6. चेक डैम (Check Dam)
छोटे जलस्रोतों पर अस्थायी बांध बनाकर पानी को रोका जाता है। इसके जरिए आसपास की जमीन की सिंचाई की जा सकती है।
- 2025: ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, महाराष्ट्र में 10,000 से ज्यादा चेक डैम बनाए जा चुके हैं।
7. प्लास्टिक लाइनिंग के तालाब
पानी को अधिक समय तक रोकने के लिए प्लास्टिक लाइनिंग का प्रयोग तालाबों में किया जाता है जिससे रिसाव कम होता है।
- खर्च: ₹10–₹15 प्रति वर्गमीटर
- उपयोग: सब्जी उत्पादक किसानों के लिए लाभकारी
सरकारी योजनाओं से लाभ कैसे लें?
भारत सरकार व राज्य सरकारें कई योजनाओं के तहत जल संचयन में सहायता देती हैं जैसे:
- मनरेगा के तहत जलसंरचना निर्माण
- PMKSY (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना)
जल संचयन से जुड़ी सलाहें
सलाह | लाभ |
---|---|
मानसून पूर्व खेत की मिट्टी का परीक्षण | जल के उपयोग की योजना बनती है |
फसल चयन स्थानीय जलस्तर के अनुसार | कम पानी वाली फसलें अपनाएं |
वर्षा जल संग्रह की तकनीकों का संयोजन | अधिकतम जल संरक्षण संभव |
निष्कर्ष
2025 का मानसून एक अवसर है, जब किसान जल संकट को अवसर में बदल सकते हैं। पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का संतुलन बनाकर वर्षा जल संचयन को अपनाएं, जिससे खेती को संकट से बाहर लाया जा सके।
💡 “एक-एक बूंद बचाएं, आने वाली पीढ़ियों की खेती बचाएं।”
FAQs
Q1 वर्षा जल संचयन किसानों के लिए क्यों जरूरी है?
वर्षा जल संचयन खेती में सिंचाई के लिए वैकल्पिक जल स्रोत उपलब्ध कराता है, जिससे सूखे समय में भी फसलें सुरक्षित रहती हैं और जल संकट से निपटने में मदद मिलती है।
Q2 कौन-कौन सी Rainwater Harvesting तकनीकें ग्रामीण इलाकों में सबसे प्रभावी हैं?
सबसे प्रभावी तकनीकों में खाल/तालाब निर्माण, खेत तालाब, परकोलेशन टैंक, कंटूर ट्रेंचिंग और रूफवॉटर हार्वेस्टिंग शामिल हैं।
Q3 खेत तालाब (Farm Pond) बनाने में कितना खर्च आता है?
खेती के आकार, मिट्टी की किस्म और खुदाई की गहराई पर निर्भर करता है, लेकिन औसतन ₹50,000 से ₹1 लाख तक का खर्च आ सकता है। सरकार भी योजनाओं के तहत अनुदान देती है।
Q4 Rainwater Harvesting सिस्टम की उम्र कितनी होती है?
सही मेंटेनेंस और सफाई से ऐसे सिस्टम 10–15 वर्षों तक टिकाऊ रहते हैं।